नई दिल्ली। भारत और अफ्रीका के विभिन्न देश समुद्री डकैती के खिलाफ बड़े पैमाने पर बहुपक्षीय समुद्री अभ्यास कर रहे हैं। इस अवसर पर भारतीय रक्षा कंपनियां भी अफ्रीका पहुंची हैं। इनका उद्देश्य अभ्यास की मेजबानी कर रहे तंजानिया समेत अन्य अफ्रीकी देशों को भारतीय रक्षा उपकरणों और हथियारों की जानकारी देना है। इससे देश का रक्षा निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी।
गौरतलब है कि तंजानिया जैसे अफ्रीकी देशों ने भारतीय रक्षा उपकरणों में रुचि दिखाई है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, अफ्रीकी देशों को भारतीय हथियारों की जानकारी देने के लिए तंजानिया में मिनी डिफेंस एक्सपो आयोजित किया जा रहा है। इसमें देश की 22 कंपनियां अपने प्रमुख उत्पादों के साथ भाग ले रही हैं। भारत और अफ्रीकी देश समुद्री डकैती और अवैध गतिविधियों के खिलाफ एक बहुपक्षीय समुद्री अभ्यास ‘अफ्रीका इंडिया की मैरीटाइम एंगेजमेंट' (ऐक्यमेय) के लिए तंजानिया के दार-ए-सलाम में जुटे हैं। संस्कृत में ‘ऐक्यमेय’ का अर्थ एकता है। यह अभ्यास 18 अप्रैल तक जारी रहेगा।
नौसेनाओं के इस अभ्यास में 10 देश शामिल हैं। इनमें कोमोरस, जिबूती, एरिट्रिया, केन्या, मेडागास्कर, मॉरीशस, मोजाम्बिक, सेशेल्स और दक्षिण अफ्रीका जैसे देश भाग ले रहे हैं।
अफ्रीकी देशों के साथ भारतीय नौसेना का यह अभ्यास और डिफेंस एक्सपो काफी महत्वपूर्ण है। इसका अंदाजा इसी बात से लग सकता है कि भारत के नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी भी इस समय तंजानिया में मौजूद हैं। रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ भी वहां हैं और वह डिफेंस एक्सपो में भी शामिल हुए।
रक्षा क्षेत्र की भारतीय कंपनियां यहां आधुनिक गन, लॉन्ग रेंज गन और समुद्री सुरक्षा से जुड़े उपकरणों को प्रदर्शित कर रही हैं। भारतीय नौसेना के आधुनिक युद्धपोत आईएनएस चेन्नई और आईएनएस केसरी भी यहां पहुंचे हैं। ये युद्धपोत समुद्री सैन्य अभ्यास का हिस्सा बनने के लिए तंजानिया में हैं। नौसैनिक अभ्यास ‘ऐक्यमेय’ के उद्घाटन समारोह की सह-मेजबानी इन जहाजों पर तंजानियन पीपल्स डिफेंस फोर्स के साथ की गई थी। सोमवार को इस अभ्यास का दूसरा दिन रहा।
शुरुआती दौर में हार्बर चरण के तहत यह अभ्यास किया जा रहा है। अभ्यास की गतिविधियों में एंटी-पायरेसी यानी समुद्री में डकैती-रोधी ऑपरेशनों का अभ्यास करना शामिल है।
आगामी 16 अप्रैल से इस नौसेनिक अभ्यास का समुद्री फेज शुरू होगा। समुद्री चरण में हथियारों की लाइव फायरिंग की जाएगी। इसके साथ ही इस चरण में समुद्र में हेलीकॉप्टर ऑपरेशन भी शामिल किए जाएंगे।